Background

श्री लक्ष्मी जगदीश मंदिर, गोनेर
जब जयपुर राज्य की बसावट भी नहीं हुई थी, तब आम्बेर एक विशाल राज्य था। जयपुर को बसाने वाले महाराजा जयसिंहजी ही आम्बेर राज्य के राजा थे। आम्बेर राज्य से लगभग 11 कोस की दूरी पर दक्षिण दिशा में गोपुरी, जो आज गोनेर नाम से जानी जाती है, नगरी थी। गोपुरी नगरी एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता था। जयपुरवासियों के लिये यह छोटी काशी के नाम से विख्यात है। गोनेर धाम में भगवान श्रीलक्ष्मीनारायणजी की स्वयंभू मूर्ती विराजमान है।
मुख्य प्रतिमा ठाकुरजी श्रीलक्ष्मीजगदीश जी की है। साथ में श्री चारभुजानाथ जी, श्री बिहारीजी एवं श्री सालिगरामजी के साथ अन्य मूर्तियॉं है। श्रीजगदीशजी माता लक्ष्मीजी के साथ विराजमान है जो विष्णु जी के अवतार है, और संरक्षण और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं।


देव दर्शन — श्रीलक्ष्मी जगदीश मंदिर, गोनेर

01. नाम

श्रीलक्ष्मी जगदीश मंदिर

02. पता

श्रीलक्ष्मी जगदीश मंदिर, गोनेर ग्राम व पोस्ट गोनेर, जयपुर – 303905 (राजस्थान)

03. महन्त / अध्यक्ष / कार्यवाहक प्रन्यासी

महन्त श्री हनुमान दास पुत्र स्व. श्री महन्त रघुनाथ दास (थामा-प्रथम)
मोबाइल नं. 07340301967

04. प्रबन्ध समिति सदस्यगण

उपाध्यक्ष

  • श्री दयाशंकर शर्मा पुत्र श्री रामनारायण शर्मा (थामा-प्रथम)

सचिव / महामंत्री

  • श्री रामचन्द्र शर्मा पुत्र श्री जगदीश प्रसाद शर्मा (थामा-प्रथम)

कोषाध्यक्ष

  • श्री भगवान सहाय शर्मा पुत्र स्व. श्री जयनारायण दास शर्मा (थामा-तृतीय)

सदस्यगण

  • श्री मोहन शर्मा पुत्र स्व. श्री बंशीधर शर्मा (थामा-प्रथम)
  • श्री रामशरण शर्मा पुत्र स्व. श्री राधाकिशन पुजारी (थामा-द्वितीय)
  • श्री अविनाश शर्मा पुत्र स्व. श्री बोदी लाल शर्मा (थामा-द्वितीय)
  • श्री जगदीश नारायण शर्मा पुत्र स्व. श्री मूलचन्द्र शर्मा (थामा-द्वितीय)
  • श्री रामरतन शर्मा पुत्र स्व. श्री छीतरमल शर्मा (थामा-तृतीय)
  • रिक्त
  • श्री रेवती रमण शर्मा पुत्र स्व. श्री जगदीश प्रसाद शर्मा (थामा-चतुर्थ)
  • श्री रतन लाल शर्मा पुत्र स्व. श्री नाथुलाल शर्मा (थामा-चतुर्थ)
  • श्री रवि शर्मा पुत्र स्व. श्री शंकरलाल शर्मा (थामा-चतुर्थ)

05. स्थापना वर्ष

भगवान श्रीलक्ष्मी जगदीशजी का प्राकट्य जेष्ठ बदी तृतीया संवत् 1612 में हुआ था। इस तिथि को मंदिर का स्थापना दिवस प्रतिवर्ष बड़े उत्सवपूर्वक मनाया जाता है।

06. इतिहास

श्रीलक्ष्मी जगदीश मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन एवं गौरवशाली है। जब जयपुर राज्य की बसावट भी नहीं हुई थी, उस समय आम्बेर राज्य की सीमा के अंतर्गत गोपुरी नामक स्थान (वर्तमान गोनेर) में यह पवित्र स्थल विद्यमान था। भगवान श्रीलक्ष्मी जगदीशजी की मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है।

लोककथा के अनुसार, भगवान ने भक्त श्री देवादासजी महाराज को स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया कि जहाँ बैलगाड़ी का धुरा टूटे, वहाँ भूमि खोदकर उनकी मूर्ति प्रकट कर स्थापित करें। आदेशानुसार जब देवादासजी गोपुरी पहुँचे, तो बैलगाड़ी का धुरा टूट गया और भूमि खोदने पर भगवान श्रीलक्ष्मी जगदीशजी की अद्भुत मूर्ति प्रकट हुई। तत्पश्चात उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण हुआ।

मंदिर निर्माण के लिए एक मुठ्ठी बाजरे के दाने से आरंभ हुआ अन्न भंडार चमत्कारिक रूप से निरंतर भरता गया। समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यकरण होता रहा है। देवादासजी के चार पुत्रों के वंशज आज भी मंदिर की पूजा-अर्चना और सेवा कार्य करते हैं। वर्तमान में महन्त श्री हनुमान दासजी चौदहवें महन्त हैं।

कहा जाता है कि मुगल शासनकाल में जब मंदिरों को नष्ट करने का अभियान चल रहा था, तब यह मंदिर भगवान के चमत्कार से सुरक्षित रहा। प्रसन्न होकर तत्कालीन बादशाह ने लगभग 400 बीघा भूमि मंदिर को दानस्वरूप प्रदान की थी।

07. किवदंती

भक्तों का विश्वास है कि भगवान श्रीलक्ष्मी जगदीशजी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। वंश वृद्धि, रोग निवारण, संतान प्राप्ति, विवाह में बाधा दूर करना या जीवन की अन्य समस्याएँ — श्रद्धा भाव से प्रार्थना करने पर भगवान कृपा अवश्य करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त खीर-मालपुए की सवामणी, जात-जडूले, कनक-दण्डवत परिक्रमा या दान-पुण्य कार्य करते हैं।

गरुड़जी की छतरी में गेहूँ के दानों (आँखें) से मनौती माँगने की परंपरा भी प्रचलित है, जिसे श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।

08. मुख्य प्रसाद

मंदिर में प्रतिदिन दोपहर 12:30 से 1:00 बजे तक भगवान को खीर-मालपुये का भोग लगाया जाता है। शयन आरती से पूर्व रात्री में दूध-बूरा का भोग भी अर्पित किया जाता है। विशेष अवसरों जैसे फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी, चैत्र कृष्ण पक्ष, श्रावण मास आदि में विशेष प्रसाद — सिंघाड़े के लड्डू, घेवर, हलवा आदि का भोग लगाया जाता है।

09. भवन वास्तु विशेषता

मंदिर का निर्माण भारतीय वास्तुशास्त्र एवं शिल्पकला के अद्भुत संगम का उदाहरण है। मुख्य गर्भगृह का शिखर लगभग 79 फीट ऊँचा है, जिस पर सुंदर नक्काशी और अलंकरण कार्य किया गया है। सभा-मंडप, परिक्रमा मार्ग, सत्संग भवन, भोजनशाला, रसोईघर और धर्मशाला जैसी सुविधाएँ भी परिसर में उपलब्ध हैं।

मंदिर परिसर के निकट ही जगन्नाथ सरोवर स्थित है, जहाँ से भगवान के अभिषेक हेतु जल लाया जाता है। परिसर में विजय हनुमानजी का मंदिर भी है, जो इस क्षेत्र की आध्यात्मिक शोभा को बढ़ाता है।

10. मान्यता

यह विश्वास है कि जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से यहाँ दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भक्तजन विशेष रूप से वंश वृद्धि, रोग निवारण, व्यापार वृद्धि, परीक्षा में सफलता, विवाह में बाधा निवारण आदि हेतु भगवान से प्रार्थना करते हैं। पूर्ण मनोकामना होने पर सवामणी, परिक्रमा, भंडारा या दान का आयोजन किया जाता है।

11. मुख्य विशेषता

श्रीलक्ष्मी जगदीश मंदिर अपनी अद्भुत स्थापत्य कला और धार्मिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ वर्षभर अनेक धार्मिक आयोजन होते हैं, परंतु दो प्रमुख मेले विशेष प्रसिद्ध हैं।

  • चैत्र कृष्ण द्वितीया (धुलण्डी के अगले दिन): इस अवसर पर भक्तजन पैदल यात्रा, कनक-दण्डवत परिक्रमा करते हुए मंदिर पहुँचते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस दिन दर्शन एवं सवामणी हेतु आते हैं।
  • श्रावण शुक्ल एकादशी: इस दिन भगवान श्रीलक्ष्मी जगदीशजी के झूलों का वार्षिक मेला भरता है। श्रावण मास में 15 दिन तक भगवान सखियों सहित झूलों के मंडप में विराजमान रहते हैं।

इसके अतिरिक्त भगवान का प्राकट्य दिवस – जेष्ठ बदी तृतीया – अत्यंत भव्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन भजन-संध्या, सत्संग, हवन-पूजन, भंडारा और प्रसादी का आयोजन किया जाता है।

12. विशिष्ट अतिथियों का आगमन

जयपुर के तत्कालीन महाराजा पृथ्वीसिंहजी और प्रतापसिंहजी भगवान श्रीलक्ष्मी जगदीशजी के अनन्य भक्त थे। वे नियमित रूप से सपरिवार दर्शन हेतु गोनेर आते थे। महाराजा प्रतापसिंहजी ने मंदिर को “खेडा गाँव” जागीर स्वरूप भेंट किया था। इसके अतिरिक्त अनेक संत-महात्मा, आचार्य, राजनेता, न्यायाधीश, समाजसेवी एवं धर्मानुरागी भक्त समय-समय पर यहाँ दर्शन हेतु आते हैं।

13. पूजा / आरती

श्रीलक्ष्मी जगदीशजी की आरती ऋतु अनुसार की जाती है:

ग्रीष्म ऋतु (मार्च – अक्टूबर)

  • श्रृंगार, धूप एवं बाल भोग आरती – प्रातः 07:00 बजे
  • भोग आरती – दोपहर 12:30 बजे
  • संध्या आरती – सांयकाल 06:30 बजे
  • श्यन आरती – रात्रि 09:00 बजे

शीत ऋतु (नवम्बर – फरवरी)

  • श्रृंगार, धूप एवं बाल भोग आरती – प्रातः 07:30 बजे
  • भोग आरती – दोपहर 01:00 बजे
  • संध्या आरती – सांयकाल 05:30 बजे
  • श्यन आरती – रात्रि 08:30 बजे

14. दर्शन का समय

भक्तजन श्रीलक्ष्मी जगदीशजी के दर्शन का लाभ ऋतु अनुसार ले सकते हैं —

  • ग्रीष्म ऋतु में प्रातः 07:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक
  • शीत ऋतु में प्रातः 07:30 बजे से रात्रि 08:30 बजे तक

आरती के समय पट लगभग 15–30 मिनट तक बंद रहते हैं।

15. वार्षिकोत्सव / महोत्सव

वर्षभर विभिन्न तिथियों पर मंदिर में विविध धार्मिक उत्सव मनाए जाते हैं, जैसे –

  • मकर संक्रांति
  • महाशिवरात्रि
  • रामनवमी
  • नरसिंह जयंती
  • जेष्ठ बदी तृतीया – भगवान का जन्मोत्सव
  • श्रावण शुक्ल एकादशी – झूलों का मेला
  • जन्माष्टमी
  • नवरात्रि
  • दीपावली और अन्नकूट

इन सभी अवसरों पर मंदिर को पुष्प, दीपक और विद्युत सज्जा से अलंकृत किया जाता है। भजन-कीर्तन, सत्संग, हवन और प्रसाद वितरण का आयोजन होता है।

16. ऑनलाइन दान हेतु बैंक विवरण

मंदिर में श्रद्धालु ऑनलाइन माध्यम से भी दान दे सकते हैं। नीचे दिए गए बैंक खाते में राशि जमा कर योगदान किया जा सकता है:

Bank: Canara Bank
Account No.: 3032101006601
IFSC Code: CNRB0003032
Branch: गोनेर, जयपुर – 303905 (राजस्थान, भारत)
PAN: AAPTS1656K
Tax Benefit: Section 80G (आयकर छूट हेतु पात्र)

17. कार्यालय एवं संपर्क व्यक्ति

मुख्य व्यवस्थापक

  • सुरेन्द्र मोहन शर्मा पुत्र महन्त श्री हनुमान दास
    मोबाइल: 07340301967

व्यवस्थापक

  • लक्ष्मीनारायण शर्मा पुत्र श्री जगदीश प्रसाद शर्मा
    मोबाइल: 09782122448

उत्सव / कार्यक्रम समिति

  • रामकिशोर शर्मा पुत्र स्व. श्री हनुमान सहाय शर्मा
    मोबाइल: 09887221714
  • रामबाबु शर्मा पुत्र स्व. श्री भगवान सहाय शर्मा
    मोबाइल: 09828599100
  • लोकेश शर्मा पुत्र श्री बाबूलाल शर्मा
    मोबाइल: 09784817161
  • राहुल शर्मा पुत्र श्री नारायण दास शर्मा
    मोबाइल: 09782912182

कार्यालय सहायक एवं पोशाक बुकिंग

  • राजेश शर्मा पुत्र स्व. श्री हनुमान सहाय शर्मा
    मोबाइल: 08290112233
  • मनीष शर्मा पुत्र श्री बाबूलाल शर्मा
    मोबाइल: 08209092350

18. ईमेल एवं वेबसाइट

Email: shrilaxmijagdishmandir@gmail.com
Website: https://shrilaxmijagdishgoner.samnvya.com

19. सामाजिक एवं धार्मिक कार्य

मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा समय-समय पर अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं लोकसेवा कार्य किए जाते हैं, जैसे –

  • निःशुल्क भोजन वितरण (भंडारा)
  • रक्तदान शिविर एवं स्वास्थ्य जांच शिविर
  • गरीब विद्यार्थियों के लिए सहायता कार्यक्रम
  • प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत सामग्री वितरण
  • सत्संग, भजन संध्या और धार्मिक प्रवचन आयोजन

20. फोटो / गैलरी

मंदिर परिसर, श्रीविग्रह, महन्त परिवार, वार्षिक उत्सव और सामाजिक कार्यों की तस्वीरें मंदिर की वेबसाइट और सूचना पट्ट पर उपलब्ध हैं।

21. विशेष उल्लेख

श्रीलक्ष्मी जगदीशजी मंदिर, गोनेर — जयपुर जिले का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु केवल दर्शन नहीं, बल्कि गहरी आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करते हैं। मंदिर का शांत वातावरण, अनुशासित सेवा और भक्तिभाव से युक्त आयोजन इसे अद्वितीय बनाते हैं।

22. निष्कर्ष

भगवान श्रीलक्ष्मी जगदीशजी का यह मंदिर श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यह स्थान न केवल भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करता है, बल्कि आत्मिक शांति का भी अद्भुत केंद्र है। “जय श्रीलक्ष्मी जगदीश!” के उद्घोष से सम्पूर्ण गोनेर ग्राम की पवित्रता प्रतिदिन गूँजती है।

श्री लक्ष्मी जगदीश मंदिर, गोनेर जयपुर

Email: shrilaxmijagdishmandir@gmail.com

पता: गोनेर, जयपुर-303905, राजस्थान, भारत
मो. +91-7340301967

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